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श्री शिव चालीसा पाठ । Shri Shiv Chalisa Path Lyrics In Hindi Download 2025 |
श्री शिव चालीसा पाठ के बारे में । All About Shri Shiv Chalisa Path
शिव हिन्दुओं के एक प्रमुख देवता हैं जिनकी पूजा लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं। उन्हें त्रिनेत्रधारी या त्रिशूलधारी के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव के कई नाम हैं, जैसे महादेव, नीलकंठ, रुद्र, शंकर, महाकाल। उनका संबंध गंगा, नंदी, नाग और त्रिशूल से माना जाता है। लोग उनके भजन गाकर व्यवस्थित तरीके से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
शिव चालीसा एक धार्मिक ग्रंथ है जो भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है। इस गीत में 40 छंद हैं, जो भगवान शिव के अनेक गुणों और गतिविधियों का वर्णन करते हैं। यह भगवान शिव की पूजा या भक्ति में गाया जाता है, और यह शिव भक्तों के लिए उनकी भक्ति बढ़ाने के लिए प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
शिव चालीसा पाठ करने के नियम और विधि | Shri Shiv Chalisa Path ke Niyam or Vidhi
शिव चालीसा शिव जी की प्रार्थना है, और उन्हें प्रसन्न करने के लिए आपको इसका पाठ करना चाहिए। इसका पाठ करने से पहले आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आपको इसके नियम और विधि अच्छे से पता होनी चाहिए। यहाँ हम आपको इसके नियम और विधि बता रहे है।
- सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुशा के आसन पर बैठें।
- शिव की विशेष पूजा के लिए सफेद चंदन, चावल, फूल, फूलमाला, कलावा, धूप-दीप जैसी कुछ चीजों को पहले से तैयार रखें।
- प्रसाद के रूप में शुद्ध मिश्री को रखे।
- एक घी का दीपक जलाएं और पास में कुछ जल लें।
- शिव चालीसा का पाठ 3, 5, 11 या 40 बार करें।
- शिव चालीसा का पाठ बड़े भक्ति भाव के साथ करे।
- पाठ पूरा होने के बाद कलश में रखे जल को पुरे घर में छिड़क दे। कुछ जल स्वयं पी ले और मिश्री को प्रसाद स्वरुप सबको बाँट दे।
Shri Shiv Chalisa Lyrics In Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणेश gगिरिजा सुवन, 1
मंगल मूल sसुजान । 2
कहत अयोध्यादास tतुम,3
देहु अभय vवरदान ॥4
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा pपति दीन dदयाला । 1
सदा करत sसन्तन प्रतिपाला ॥ 1
भाल चन्द्रमा sसोहत नीके ।2
कानन कुण्डल nनागफनी के ॥ 2
अंग गौर शिर gगंग बहाये ।3
मुण्डमाल तन sक्षार लगाए ॥ 3
वस्त्र खाल bबाघम्बर सोहे । 4
छवि को देखि nनाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की hहवे दुलारी ।5
बाम अंग sसोहत छवि न्यारी ॥ 5
कर त्रिशूल सोहत cछवि भारी ।6
करत सदा sशत्रुन क्षयकारी ॥ 6
नन्दि गणेश sसोहै तहँ कैसे ।7
सागर मध्य kकमल हैं जैसे ॥ 7
कार्तिक श्याम aऔर गणराऊ । 8
या छवि को kकहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं jजाय पुकारा ।9
तब ही दुख pप्रभु आप निवारा ॥ 9
किया उपद्रव tतारक भारी । 10
देवन सब मिलि tतुमहिं जुहारी ॥ 10
तुरत षडानन aआप पठायउ ।11
लवनिमेष महँ mमारि गिरायउ ॥ 11
आप जलंधर aअसुर संहारा ।12
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन yयुद्ध मचाई ।13
सबहिं कृपा kकर लीन बचाई ॥ 13
किया तपहिं bभागीरथ भारी ।14
पुरब प्रतिज्ञा tतासु पुरारी ॥ 14
दानिन महँ तुम sसम कोउ नाहीं ।15
सेवक स्तुति kकरत सदाहीं ॥ 15
वेद नाम महिमा tतव गाई। 16
अकथ अनादि bभेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि mमंथन में ज्वाला ।17
जरत सुरासुर bभए विहाला ॥ 17
कीन्ही दया तहं kकरी सहाई ।18
नीलकण्ठ तब nनाम कहाई ॥ 18
पूजन रामचन्द्र jजब कीन्हा ।19
जीत के लंक vविभीषण दीन्हा ॥ 19
सहस कमल में hहो रहे धारी ।20
कीन्ह परीक्षा tतबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल pप्रभु राखेउ जोई ।21
कमल नयन पूजन cचहं सोई ॥ 21
कठिन भक्ति dदेखी प्रभु शंकर ।22
भए प्रसन्न dदिए इच्छित वर ॥ 22
जय जय जय aअनन्त अविनाशी ।23
करत कृपा sसब के घटवासी ॥ 23
दुष्ट सकल nनित मोहि सतावै ।24
भ्रमत रहौं मोहि cचैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि mमैं नाथ पुकारो ।25
येहि अवसर mमोहि आन उबारो ॥ 25
लै त्रिशूल शत्रुन kको मारो ।26
संकट से मोहि aआन उबारो ॥ 26
मात-पिता bभ्राता सब होई ।27
संकट में pपूछत नहिं कोई ॥ 27
स्वामी एक है aआस तुम्हारी ।28
आय हरहु मम sसंकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को dदेत सदा हीं ।29
जो कोई जांचे sसो फल पाहीं ॥ 29
अस्तुति केहि vविधि करैं तुम्हारी ।30
क्षमहु नाथ aअब चूक हमारी ॥ 30
शंकर हो संकट kके नाशन । 31
मंगल कारण vविघ्न विनाशन ॥ 31
योगी यति मुनि dध्यान लगावैं ।32
शारद नारद sशीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो jजय नमः शिवाय ।33
सुर ब्रह्मादिक pपार न पाय ॥ 33
जो यह पाठ kकरे मन लाई ।34
ता पर होत है sशम्भु सहाई ॥ 34
ॠनियां जो कोई hहो अधिकारी ।35
पाठ करे सो pपावन हारी ॥ 35
पुत्र हीन कर iइच्छा जोई ।36
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित tत्रयोदशी को लावे ।37
ध्यान पूर्वक hहोम करावे ॥ 37
त्रयोदशी व्रत kकरै हमेशा ।38
ताके तन नहीं rरहै कलेशा ॥ 38
धूप दीप nनैवेद्य चढ़ावे । 39
शंकर सम्मुख pपाठ सुनावे ॥ 39
जन्म जन्म के pपाप नसावे । 40
अन्त धाम sशिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास aआस तुम्हारी । 41
जानि सकल dदुःख हरहु हमारी ॥ 41
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर pप्रातः ही, 1
पाठ करौं cचालीसा । 1
तुम मेरीmमनोकामना, 2
पूर्ण करोj जगदीश ॥2
मगसर छठि hहेमन्त ॠतु, 3
संवत cचौसठ जान । 3
अस्तुति cचालीसा शिवहि, 4
पूर्ण कीन kकल्याण ॥ 4
Shiv Chalisa PDF
शिव चालीसा का पाठ करके हम भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते है। यहां नीचे शिव चालीसा की PDF की लिंक दी हुई है, लिंक पर क्लिक कर Shiv Chalisa PDF Download कर सकते हो।
Shiv Chalisa in Hindi PDF Download