Ayodhya:- माता सीता को मुंह दिखाई में मिला था कनक भवन, जानें पूरा किस्सा

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम की पवित्र भूमि अयोध्या हिंदुओं के लिए अद्वितीय महत्व रखती है। पवित्र सरयू नदी के शांत तट पर स्थित, अयोध्या में कई मंदिर हैं जो भक्तों को भगवान राम और उनके पुण्य शासनकाल के दिव्य क्षेत्र में ले जाते हैं, जिसे रामराज्य के रूप में जाना जाता है।

अयोध्या के इन मंदिरों में से एक है "कनक भवन" जो स्वर्णिम सुंदरता से परिपूर्ण है। इस मंदिर की संरचना जो एक विशाल महल की तरह है। लोगो का कहना है कि यह मंदिर एक महल ही था, जिसे महाराजा दशरथ ने अपनी पत्नी रानी कैकेयी के कहने पर बनवाया था। 



रानी कैकई ने यह महल क्यों कनक भवन बनवाया ?


माता सीता के साथ विवाह के बाद भगवान राम के मन में विचार आया कि सीता के लिए अयोध्या में भी एक दिव्य महल होना चाहिए। जैसे ही भगवान राम के मन में यह विचार आया वैसे ही रानी कैकेयी के स्वप्न में एक स्वर्णिम महल दिखाई दिया। रानी कैकेयी ने महाराज दशरथ से अपने स्वप्न के बारे में बताते हुए एक सुंदर महल बनवाने की इच्छा जाहिर की। रानी कैकेयी के स्वप्न के बारे में जानकर राजा दशरथ ने देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा को बुलाकर यह महल बनवाया था। जब सीता जी अयोध्या आईं तब रानी कैकेयी ने यह महल मुँह दिखाई में उन्हें दे दिया।


द्वापर युग से भी है इसका संबंध

जब श्री कृष्ण द्वापरयुग में अपनी पत्नी रुक्मिणी के साथ अयोध्या आए थे। तब अयोध्या दर्शन के दौरान श्रीकृष्ण कनक भवन पहुँचे। वहाँ उन्होंने इस भवन की जर्जर हालत देखी। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से क्षणभर में जान लिया कि यह स्थान कनक भवन है। उसी समय उन्होंने अपनी शक्ति से से श्रीसीताराम की मूर्तियों को प्रकट कर उसी स्थान पर स्थापित कर दिया।


इस कनक भवन का कई बार जीर्णोद्धार हो चुका है। सबसे पहले श्रीराम के पुत्र कुश ने इस कनक भवन का जीर्णोद्धार करवाया। फिर श्री कृष्ण,  सम्राट महाराजा विक्रमादित्य और समुद्रगुप्त जैसे कई राजाओं ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। यह मंदिर बहुत सुंदर है। कहा जाता है कि आज भी इस मंदिर में श्री राम माता सीता के साथ विचरण करते है।

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