Padmini Ekadashi 2023 in Hindi :- इस पोस्ट में हम आपको पद्मिनी एकादशी के बारे में पूरी जानकारी देंगे जैसे - पद्मिनी एकादशी क्या है, पद्मिनी एकादशी कब है?, पद्मिनी एकादशी व्रत कथा ( कहानी ), पद्मिनी एकादशी का महत्व क्या है, विधि, मुहूर्त आदि जानेंगे -
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पद्मिनी एकादशी कब आती है ? ( When does Padmini Ekadashi come? ) :-
Padmini Ekadashi 2023 When :- हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्त्व है। एकादशी हर महीने में दो बार आती है यानि साल में 24 बार आती है। लेकिन जिस वर्ष अधिकमास होता है यानि जिस साल में एक महीना ज्यादा होता है अर्थात साल में 12 नहीं 13 महीने होते है, उस अतिरिक्त महीने को अधिकमास या मलमास कहते है। साल में अधिकमास के जुड़ने से दो एकादशी और बढ़ जाती है, और साल में 24 नहीं 26 एकादशी हो जाती है।
अधिकमास की दो एकादशी को पद्मिनी एकादशी और परमा एकादशी कहा जाता है। जैसा कि आप जानते होंगे कि हर हिन्दू महीने में 15 - 15 दिन के दो पक्ष ( भाग ) होते है जिन्हें शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के नाम से जानते है। पद्मिनी एकादशी जो मलमास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस वर्ष अर्थात 2023 में पदमिनी एकादशी 29 जुलाई 2023 को है। पद्मिनी एकादशी को कमला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्मिनी एकादशी 2023 या कमला एकादशी 2023
पद्मिनी एकादशी का महत्त्व ( Padmini Ekadashi Importance / Padmini Ekadashi Significance ):-
Padmini Ekadashi 2023 Significance:- पद्मिनी एकादशी में भगवान विष्णु का बहुत महत्त्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस पद्मिनी एकदशी के व्रत का महत्त्व बहुत ज्यादा है। भगवान विष्णु की पूजा के समय पद्मिनी एकदशी की कथा सुनना बहुत आवश्यक होता है क्योकि इस कथा को सुने बिना व्रत करना व्यर्थ है यानि आपका व्रत करना अपूर्ण है। पुराणों में अधिकमास की दोनों एकादशी पद्मिनी और परमा एकादशी में व्रत करने से साल की 24 एकादशी, सभी तीर्थो की यात्रा, यज्ञ करने का फल मिल जाता है। Padmini 2023
स्कंद पुराण में बताया गया है कि इस माह की एकादशी का व्रत करना किसी भी यज्ञ, तप, दान से कम नहीं है बल्कि उससे अधिक ही है। इस व्रत से आपके पितरो को संतुष्टि मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु को यह दिन बहुत प्रिय है। इस व्रत के महत्त्व के बारे में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि जो यह कथा सुनता है वो वैकुण्ठ धाम को प्राप्त करता है। क्या है पद्मिनी एकादशी की कथा ? चलिए जानते है।
पद्मिनी एकादशी की कथा ( Story of Padmini Ekadashi /Padmini Ekadashi Vrat Katha ) :-
Padmini Ekadashi 2023 Katha :- श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते है कि त्रेता युग में हैहय नामक राजा के कुल में एक परम पराक्रमी राजा हुए जिनका नाम कृतवीर्य था, जो महिष्मती पुरी नामक राज्य पर राज करता था। उसके कई पत्नियां थी, जो लगभग 1000 थी। उन 1000 हजार पत्नियों में से किसी को भी पुत्र नहीं था, जो उनके राज्य का भार संभाल सके। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए सभी वैद्य, देवता, चिकित्सा उपाय कर लिए लेकिन उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई।
तब राजा कृतवीर्य अपने राज्य का भार अपने मंत्री को सौपकर अपनी प्रिय पत्नी पद्मिनी ( जो इक्ष्वाकु कुल के महान राजा हरिश्चंद्र की पुत्री थी ) के साथ गंधमादन पर्वत पर तप करने चले गए। राजा ने 10 हजार वर्ष के लम्बे समय तक तप किया लेकिन फिर भी पुत्र की प्राप्ति नहीं हो सकी। एक बार रानी पद्मिनी देवी अनुसूया से मिलने गई और उनसे इसका उपाय पूछा। देवी अनुसूया ने कहा कि बारह माह से अधिक महत्त्व मलमास का होता है, जो 32 महीनो के बाद आता है।
इस मलमास में आप शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन रात्रि जागरण के साथ व्रत रखे, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपको पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देंगे। रानी पद्मिनी ने ऐसा ही किया, और भगवान विष्णु प्रकट हुए। भगवान विष्णु ने रानी से वरदान मांगने को कहा। रानी ने कहा आप मेरे बदले मेरे पति को वरदान दे।
भगवान ने राजा से वर मांगने को कहा। राजा ने कहा हे भगवन आप मुझे ऐसा पुत्र दे जो सर्वगुण संपन्न हो, वह आपके सिवा किसी से पराजित न हो, जिसको तीनो लोको में सम्मान मिले। भगवान विष्णु ने राजा को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। कुछ समय पश्चात रानी ने एक पराक्रमी पुत्र को जन्म दिया जिसको कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया। एक बार कार्तवीर्य अर्जुन ने लंकापति रावण को भी बंधी बना लिया था।
पद्मिनी एकादशी के व्रत की विधि ( Method of fasting on Padmini Ekadashi ) :-
Padmini Ekadashi 2023 Vrat Vidhi:- सबसे पहले आप पद्मिनी एकादशी के एक दिन पहले यानि दशमी के दिन ही अपने तन और मन दोनों को तैयार कर ले। दशमी के दिन अपने मन को भगवान विष्णु के प्रति समर्पित कर दे, उनका ध्यान करे। अपने मन से काम वासना, मोह, लोभ आदि विकार को दूर कर ले। फिर एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे। शौच से निवृत होकर, दन्त मंजन करके 12 कुल्ले जल के करके शुद्ध हो जाए। फिर सूर्योदय से पूर्व पास के किसी धार्मिक स्थल पर शुद्ध जल से स्नान करे। धार्मिक स्थल दूर है तो घर में ही शुद्ध जल से स्नान कर ले।
आप जमीकंद ( जैसे - आलू, गाजर, मूली, शकरकंद आदि ), प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, नमक आदि से परहेज करे। घर में भी अन्य सदस्यों के लिए उस दिन भोजन में जमीकंद, प्याज, लहसुन न बने। फिर निर्जल व्रत रखकर पूजा की तैयारी करे और शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। सबसे पहले एक साफ व शुद्ध चौकी ले। उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करे। विष्णुजी को पीले वस्त्र पहनाए। फिर विष्णु जी को पीले फूल और नैवेद्य चढ़ाए। हो सके तो आप भी पीले वस्त्र पहने। भगवान के सामने धूप और दीपक प्रज्वलित करे। फिर भगवान विष्णु की आरती करे और पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा संपन्न करें।
पूजा के समय पद्मिनी एकादशी के व्रत की कथा जरूर पढ़े या किसी से सुने। प्रत्येक प्रहर में विष्णुजी को भिन्न-भिन्न वस्तु भेंट करें जैसे - प्रथम प्रहर में नारियल, द्वितीय प्रहर में बेल, तृतीय प्रहर में सीताफल, चतुर्थ प्रहर में नारंगी और सुपारी आदि। हो सके तो सुबह, शाम मंदिर जाकर दर्शन जरूर करे। ब्राह्मण को भोजन कराए और उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करे। हो सके तो गरीबो में भी दान दे। इस दिन भजन कीर्तन कर रात्रि जागरण करे। यदि आप रात्रि जागरण नहीं कर सकते है, तो आप बिस्तर के बजाए जमीन पर सोए। फिर सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होकर मंदिर जाए और भगवान को दीप जलाकर व्रत की सफलता के लिए धन्यवाद करे और सूर्योदय के बाद पारण के शुभ समय में व्रत को खोले यानि आप उस समय में अन्न-जल खाकर अपना व्रत पूर्ण करें। फिर सभी बड़ो का आशीर्वाद ले।
पद्मिनी एकादशी का मुहूर्त 2023 ( Muhurat of Padmini Ekadashi 2023) :-
- पद्मिनी एकादशी कब शुरू होगी :- पंचांग अनुसार 2023 में अधिकमास या मलमास के शुक्ल पक्ष में एकादशी की तिथि 28 जुलाई को दोपहर 02.51 से शुरू होगी जो अगले दिन यानि 29 जुलाई को दोपहर 01.05 पर खत्म होगी। इसलिए व्रत 29 जुलाई 2023 को रखा जाएगा।
- पूजा का समय :- प्रातः 07.22 से प्रातः 09.04 तक ( 29 जुलाई 2023 को )
- व्रत पारण का समय :- प्रातः 05.41 से प्रातः 08.24 तक ( 30 जुलाई 2023 को )