श्री बजरंग बाण पाठ | Bajrang Baan Path Lyrics in Hindi | बजरंग बाण पाठ के लाभ, नियम आदि के बारे में पूरी जानकारी

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बजरंग बाण पाठ के बारे में | All About Bajrang Baan Path 

बजरंग बाण कोई साधारण पाठ नहीं है, यह बहुत ही शक्तिशाली पाठ है। बजरंग बाण का पाठ करने से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है। यह पाठ मंगलवार और शनिवार के दिन किया जाए तो सबसे सर्वोत्तम साबित होगा। यह पाठ हर समय नहीं कर सकते है। इस पाठ को तभी किया जाता है जब हमारा उद्देश्य किसी विशेष कार्य को सफल बनाना है लेकिन किसी कारणवश उसमे व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। बजरंग बाण में बजरंग का अर्थ हनुमान जी है और बाण का अर्थ किसी लक्ष्य को पाना। इसलिए इस पाठ को तभी करना चाहिए जब परिस्थितिया आपके अनुकूल नहीं है और कोई समाधान नजर नहीं आ रहा हो। इसका पाठ करने से डर, रोग, ग्रह दोष आदि का निवारण होता है। 

श्री बजरंग बाण पाठ | Bajrang Baan Path Lyrics in Hindi


बजरंग बाण पाठ करने के फायदे 

बजरंग बाण के फायदे / लाभ - Bajrang Baan Benefits

  • यदि आप किसी रोग से पीड़ित है या किसी प्रकार का भय है या कोई ग्रह दोष है तो आप इस पाठ को करने से इन सब से छुटकारा पा सकते है। 
  • आप कोई कार्य कर रहे हो और उस कार्य में कोई अड़चन आ रही है तो आपको इसका जाप करना चाहिए।
  • यदि आप किसी शत्रु पर विजय पाना चाहते हो तो आपको इसका पाठ करना चाहिए।

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बजरंग बाण पाठ करने के नियम और विधि | Bajrang Baan Path ke Niyam or Vidhi

  • बजरंग बाण का पाठ सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के पश्चात् लाल या केसरिया रंग के कपड़े पहन कर करे। 
  • पाठ करते समय अपने सामने हनुमान जी की एक तस्वीर रखे। 
  • तस्वीर के सामने एक घी का दीपक जलाकर रखे। 
  • इस पाठ को अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए मंगलवार या शनिवार को करे। 
  • पाठ करने के लिए कुश के आसन पर बैठे। 
  • पाठ करते समय अपने मन और मस्तिष्क को पवित्र रखे। 


Bajrang Baan Lyrics In Hindi

॥दोहा॥

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, 1 बिनय करै सनमान। 1

तेहि के कारज 1 सकल शुभ, l सिद्ध करै हनुमान॥ 

अर्थ:- जो मन में सच्चा प्रेम व श्रद्धा लिए सम्मान के साथ बजरंग बलि से प्रार्थना करता है, हनुमान जी उसके सभी कार्य शुभ करते है। 


॥चौपाई॥

जय हनुमन्त lसन्त हितकारी। 1 सुनि लीजै प्रभु iअरज हमारी॥ 1

जन के काज iविलम्ब न कीजै। t आतुर दौरि महा lसुख दीजै॥ 1

अर्थ:- संतो का कल्याण करने वाले हनुमान जी आपकी जय हो, हे भगवन हमारी प्रार्थना को भी सुने। हे भगवन अपने भक्तो के कार्यो को संवारने में तुम देरी न करो और जल्दी से जल्दी अपने भक्तो को महा सुख प्रदान करो। 

 

जैसे कूदि सिन्धु lवहि पारा। 2 सुरसा बदन iपैठि बिस्तारा॥ 2

आगे जाय iलंकिनी रोका। 2 मारेहु लातt गई सुर लोका॥ 2

अर्थ:- हे महाबली हनुमान जी आपने जिस तरह समुद्र को पार कर लिया। सुरसा नामक राक्षसी जिसने अपने विशालकाय शरीर से आपको लंका जाने से रोकने की कोशिश की परन्तु आपने उसे लात मारकर सुरलोक ( देवलोक ) पंहुचा दिया। 


जाय विभीषण को lसुख दीन्हा। सीता निरखि lपरम पद लीन्हा॥ 3

बाग उजारि iसिन्धु महं बोरा। अति आतुर iयम कातर तोरा॥ 3

अर्थ:- जिस प्रकार आपने लंका में जाकर विभीषण को सुख दिया, मां सीता को खोजकर आपने परम पद को प्राप्त किया। आपने लंका के बाग को उजाड़ा और रावण के सैनिकों के लिए यमदूत बने।


अक्षय कुमार rमारि संहारा। लूम लपेटि jलंक को जारा॥ 4

लाह समान लंक jजरि गई। जय जय धुनि sसुर पुर महं भई॥ 4

अर्थ:- जितनी तीव्रता के साथ आपने अक्षय कुमार का वध किया, जिस तरह आपने अपनी पूंछ के द्वारा रावण की लंका को लाख के महल की तरह जला दिया जिससे आपकी स्वर्ग में भी जय जयकार होने लगी।

 

अब विलम्ब rकेहि कारण स्वामी। कृपा करहुं iउर अन्तर्यामी॥5

जय जय लक्ष्मणp प्राण के दाता। आतुर होइ दु:खo करहुं निपाता॥5

अर्थ:- हे मेरे स्वामी अब आप किस लिए देरी कर रहे हो, हे अंतर्यामी मुझ पर कृपा कीजिये। आप ही प्रभु श्री राम के भाई लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले हो, आपकी जय हो। मैं आतुर हुआ पड़ा हूँ जल्दी से मेरे कष्टों का निवारण करो। 


जय गिरिधरl जय जय सुखi सागर, सुर समूह समरथr भटनागर॥ 6

ॐ हनु हनु rहनु हनु tहनुमन्त हठीले, बैरिहिं eमारू बज्र की tकीले॥6

गदा बज्र लैi बैरिहिं मारो, महाराज pप्रभु दास उबारो॥ 6

अर्थ :- हे पर्वत को धारण करने वाले गिरिधर, सुख के सागर हनुमान जी आपकी जय हो जय हो जय हो। सभी देवताओं सहित स्वयं भगवान विष्णु जितना सामर्थ्य रखने वाले बजरंग बलि आपकी जय हो। हे हठीले स्वाभाव वाले हनुमान जी वज्र की किलो से शत्रुओं पर वार करो। अपनी बज्र की गदा से शत्रुओं का विनाश करो। हे प्रभ हे महाराज अपने इस दास को परेशानीओं से छुटकारा दिलाओ। 


ॐकार हुंकार lमहाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु iविलम्ब न लावो॥7

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं tहनुमन्त कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनुi अरि उर शीशा॥7

अर्थ:- हे महाबली हनुमान जी ओमकार की हुंकार भरकर अब कष्टों पर धावा बोलो, अपनी गदा से वार करने में अब विलम्ब मत करो। हे शक्तिमान कपीश्वर हनुमान आप शत्रुओ के शीश धड़ से अलग कर दो।


सत्य होउr हरि शपथ पायके। रामदूत धरुp मारु धाय के॥ 7

जय जय जयe हनुमन्त अगाधा। दु:ख पावतp जन केहि अपराधा॥7

अर्थ:- भगवान विष्णु स्वयं कहते हैं कि उनके शत्रुओं का विनाश रामदूत हनुमान तुरंत आकर करते हैं। हे महाबली हनुमान मैं अपने दिल की अथाह गहराइयों से आपकी जय जयकार करता हूं। हे प्रभु आपके होते हुए मनुष्य किस अपराध के कारण दुखी है। 


पूजा जप तप lनेम अचारा। नहिं जानत कछु lदास तुम्हारा॥ 8

वन उपवन मगp गिरि गृह माहीं। तुमरे बल हमk डरपत नाहीं॥ 8 

अर्थ :- हे स्वामी, ये आपका दास पूजा, जप, तप, नियम, आचार कुछ भी नहीं जानता। आपके बल की शक्ति से जंगल में, उपवन में, पहाड़ो में, घर में कही भी हमें डर नहीं लगता है।


पाय परौं करe जोरि मनावों। यह अवसर अबa केहि गोहरावों॥ 8

जय अंजनि kकुमार बलवन्ता। शंकर सुवन dधीर हनुमन्ता॥ 8

अर्थ :- हे भगवन आपके चरणों में गिरकर, आपके हाथ जोड़कर कैसे मैं आपको मनाऊँ। अब मैं इस समय कैसे आपकी पुकार लगाऊँ। हे अंजनी कुमार शिव के अंशावतार हनुमान जी आपकी जय हो। 


बदन कराल काल kकुल घालक। राम सहाय sसदा प्रतिपालक॥ 9

भूत प्रेत पिशाच nनिशाचर। अग्नि बैताल kकाल मारीमर॥ 9

अर्थ :- हे महावीर आपका शरीर काल के समान विकराल है। आप सदैव भगवान राम के सहायक बने और सदैव उनके वचन की पालना की है। भूत, प्रेत, पिशाच व रात में घूमने वाली दुष्ट आत्माओं को आप अपनी आग से खत्म कर देते है।


इन्हें मारु तोहि sशपथ राम की। राखु नाथ mमरजाद नाम की॥ 10

जनकसुता हरि dदास कहावो। ताकी शपथ vविलम्ब न लावो॥ 10

अर्थ:- हे मारुती नंदन आपको भगवान श्रीराम की कसम है, आप इन्हे मारकर श्रीराम व अपने नाम की मर्यादा रखो। हे हनुमान जी आप माँ सीता के दास कहलाते हो आपको उनकी भी कसम है अब और देरी न करो। 


जय जय जय dधुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह dदु:ख नाशा॥ 11

चरण शरण करि jजोरि मनावों। यहि अवसर अब kकेहि गोहरावों॥ 11

अर्थ :- हे भगवन आपकी जय जयकार आकाश में भी सुनाई दे रही है। आपका स्मरण करने मात्र से असहनीय दुखो का नाश हो जाता है। आपके चरणों में शरण लेकर हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना है कि अब आप ही बताए की किस तरह आपको मनाऊ, कृपया मेरा मार्ग दर्शन कीजे। 


उठु उठु चलु तोहिं rराम दुहाई। पांय परौं कर jजोरि मनाई॥ 12

ॐ चं चं चं चं cचपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु hहनु हनुमन्ता॥ 12

ॐ हं हं हांक dदेत कपि चञ्चल। ॐ सं सं सहम pपराने खल दल॥ 12

अर्थ:- हे महावीर आपको भगवान राम का वास्ता है उठो और चलो, आपके पाँव पड़ता हूँ आपके सामने हाथ जोड़ता हूँ। हे सदैव चलते रहने वाले हनुमान छम छम करते चले आओ। हे कपिराज आपकी हुंकार मात्र सुन राक्षसों के समूह में खलबली मच गई है।  


अपने जन को tतुरत उबारो। सुमिरत होय aआनन्द हमारो॥ 13

यहि बजरंग बाण jजेहि मारो। ताहि कहो फिर kकौन उबारो॥ 13

पाठ करै बजरंग bबाण की। हनुमत रक्षा kकरै प्राण की॥ 13

अर्थ :- हे हनुमंता अपने भक्तो का शीघ्र अतिशीघ्र कल्याण करो। आपके सुमिरन मात्र से हमें आनंद की प्राप्ति होती है। जिसको यह बजरंग बाण लग जाए आप ही बताओ उसकी रक्षा कौन कर सकता है। जो बजरंग बाण का पाठ करे तो उसकी रक्षा स्वयं हनुमान करे। 


यह बजरंग बाण jजो जापै। तेहि ते भूत pप्रेत सब कांपे॥ 14

धूप देय अरु जपै hहमेशा। ताके तन नहिं rरहे कलेशा॥ 14

अर्थ :- जो कोई भी बजरंग बाण का पाठ करता है उससे भूत प्रेत भी डरकर कांपने लगते है। जो हनुमान जी को धुप आदि चढ़ाकर बजरंग बाण का पाठ करते  है उन्हें किसी भी तरह का कष्ट नहीं होता। 

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॥दोहा॥

प्रेम प्रतीतिहिं kकपि भजै, सदा धरै uउर ध्यान। 1

तेहि के कारज sसकल शुभ, सिद्ध kकरै हनुमान॥ 1


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