Somnath Mandir | सोमनाथ मंदिर के बारे में | All About Somnath Temple Timings, History, Attack etc.
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इस लेख में हम आपको सोमनाथ मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देंगे। यह जानकारी हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध होगी। ( In this article we will give you complete information about Somnath Temple. This information will be available in both Hindi and English languages. )
12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से पहला सोमनाथ मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव का सम्मान किया जाता है। सोमनाथ नाम का अर्थ है "चंद्रमा का स्वामी" और यह भगवान शिव का एक रूप है। सोमनाथ मंदिर कहां पर है ? - यह मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास स्थित प्रभास पाटन में स्थित है। क्योंकि पूर्व में इस मंदिर को छह बार लूटा और नष्ट किया गया था, इसलिए इसे "शाश्वत मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि इसके बाद इसे हर बार भव्यता के साथ बनाया गया है। सड़क मार्ग से द्वारका से सोमनाथ की दूरी 233KM है और द्वारका से सोमनाथ की हवाई दूरी 211KM है।
Somnath Mandir - सोमनाथ मंदिर - All About Somnath Temple :- Timing, History, Attack etc.
( The first of the 12 sacred Jyotirlingas is Somnath Mandir ( Temple ). Lord Shiva is honoured in this ancient temple. The name Somnath means "Lord of the Moon," and it is a form of Lord Shiva. The temple is located at Prabhas Patan, near Veraval port in Saurashtra, Gujarat. Because the temple was looted and destroyed six times in the past, it is also known as "The Shrine Eternal." It was, however, magnificently reconstructed every time after that. The distance from Dwarka to Somnath by road is 233KM and the air distance from Dwarka to Somnath is 211KM. )
संक्षिप्त जानकारी ( Brief Information )
स्थान ( Place ) :- सोमनाथ, गुजरात ( Somnath Gujarat )
भगवान ( God ) :- भगवान सोमनाथ ( Lord Somnath (Lord Shiva - भगवान शिव) )
महत्व ( Significance ) :- ज्योतिर्लिंग ( Jyotirlinga )
दर्शन का समय ( Darshan Timing ) :- सुबह 6:00 AM to रात 10:00 PM
घूमने का सबसे बढ़िया समय कौन सा है ( When is the best time to visit ) :- मार्च और अक्टूबर ( March and October )
प्रवेश शुल्क ( Entry Fees ) :- निःशुल्क ( No Fee / Free )
सोमनाथ मंदिर का समय क्या है? ( What are the timings of Somnath Mandir? )
मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है। इस अवधि के दौरान, मंदिर कई संस्कार भी करता है। भक्त विभिन्न संस्कारों में भाग ले सकते हैं, जैसे सुबह, दोपहर और शाम की आरती।
( The temple is open from 6:00 a.m. to 10:00 p.m. During this period, the temple also performs numerous rites. Devotees can participate in various rites, such as aarti in the morning, midday, and evening. Somnath Mandir Timing )
Somnath Temple Timings :-
कार्यक्रम का समय ( Timing of Events )
दर्शन ( Darshan ) :- 6:00 AM to 10:00 PM
सुबह की आरती ( Morning Aarti ) :- 7:00 AM
दोपहर की आरती ( Afternoon Aarti ) :- 12:00 PM
शाम की आरती ( Evening Aarti ) :- 7:00 PM
सोमनाथ मंदिर में कौन कौन सी पूजा होती है? ( Which puja is performed in Somnath Mandir? )
सोमनाथ मंदिर में, विभिन्न प्रकार की पूजा होती है। ( At the Somnath Temple, there are various poojas that take place. )
होमात्मक अतिरुद्र ( Homatmak Atirudra ) :- सभी महायज्ञों में यह यज्ञ सबसे शक्तिशाली और पवित्र है। यह यज्ञ आपको पापों से मुक्त करता है और आपको शांति और समृद्धि प्रदान करता है। अतिरुद्र में महा रुद्र के ग्यारह पाठ होते हैं। ( Out of all the Mahayagnas, this yajna is the most powerful and sacred. This yagna cleanses you of your sins and brings you serenity and prosperity. The Atirudra consists of eleven recitations of Maha Rudra. )
होमात्मक महारुद्र ( Homatmak Maharudra ) :- इस पूजा में 56 उच्च ज्ञानी वैदिक पंडित एक साथ रुद्रों का पाठ करते हैं। मंदिर के देवताओं के सामने पुजारी ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद का पाठ भी करते हैं। ( This pooja entails 56 highly knowledgeable Vedic Pandits reciting the Rudras simultaneously. In front of the temple's deities, the priest also recite the Rigveda, Samveda, Yajurveda, and Atharva Veda. )
होमत्मक लगुरुद्र ( Homatmak Lagurudra ) :- यह अभिषेक स्वास्थ्य और धन संबंधी कठिनाइयों को दूर करने के लिए किया जाता है। यह कुंडली के ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को भी दूर करता है। ( This abhishek is performed to resolve health and money difficulties. It also removes the horoscope's negative effects of planets. )
सवालक्ष सम्पुट महामृत्युंजय जाप ( Savalaksha Samput Mahamrityunjaya Jaap ) :- महामृत्युंजय अभिषेक एक ऐसा अनुष्ठान है जो व्यक्ति के जीवनकाल और अमरता को बढ़ाता है। ( The Mahamrityunjaya Abhishek is a ritual that increases a person's lifetime and immortality. )
सावलक्ष बिल्व पूजा, कालसर्प योग निवारण विधि, शिवपुराण पथ, महादुग्ध अभिषेक, गंगाजल अभिषेक और नवग्रह जाप कुछ अन्य पूजा और अभिषेक हैं। ( Savalaksha Bilva Pooja, Kalsarpa Yog Nivaran Vidhi, Shivpuran Path, Mahadugdh Abhishek, Gangajal Abhishek, and Navagraha Jaap are some of the other Poojas and Abhishekams. ) Somnath temple in hindi
सोमनाथ मंदिर का इतिहास ( History of Somnath Temple )
Somnath Temple History in Hindi - सोमनाथ मन्दिर भारत के गुजरात नामक प्रदेश में स्थित अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक शिव मन्दिर है। यह भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। इसे अभी भी भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। माना जाता है कि गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था, जैसा कि ऋग्वेद में कहा गया है। इस मंदिर ने हिंदू धर्म के उत्थान और पतन के इतिहास के प्रतीक के रूप में कार्य किया है। इस मंदिर को इसकी भव्यता के कारण पूरे इतिहास में कई बार तोड़ा गया और फिर दोबारा बनाया गया है। सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण .
( Somnath Temple is a very ancient and historical Shiva temple located in the state of Gujarat, India. It is one of the selected and important temples of Indian history and Hindus. It is still regarded as the first Jyotirlinga among India's 12 Jyotirlingas. This temple, which is located in the Veraval port of Gujarat's Saurashtra area, is supposed to have been built by Chandradev himself, as stated in the Rigveda. This temple has served as a symbol of Hindu religion's rise and decline. This temple has been broken and rebuilt numerous times throughout history due of its opulence. )
प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों के अनुसार सोम अर्थात् चन्द्रदेव ने दक्षप्रजापति राजा की 27 कन्याओं से विवाह किया था। लेकिन उनमें से सिर्फ रोहिणी नामक पत्नी को अधिक प्यार व सम्मान दिए जाने से अन्याय को देखकर क्रोध में आकर दक्ष ने चन्द्रदेव को श्राप दिया कि अब से हर दिन तुम्हारा तेज (काँति, चमक) कम होता रहेगा। श्राप से विचलित और दु:खी सोम ने भगवान शिव की आराधना करना शुरू कर दिया। सोम की आराधना से प्रसन्न होकर शिव ने इस श्राप का निवारण किया। सोम ( चंद्रदेव ) ने यहाँ भगवान शिव का मंदिर बनवाया और इसलिए इसे "सोमनाथ" कहा जाने लगा।
ऐसी मान्यता भी है कि श्रीकृष्ण ने अपने अंतिम समय में यही निवास किया हुआ था। श्रीकृष्ण भालुका नामक तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। उस समय एक शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आँख समझकर अनजाने में तीर मारा था। तब ही श्रीकृष्ण ने मनुष्य देह को त्यागकर यहीं से वैकुण्ठ की ओर प्रस्थान किया। इस स्थान पर श्रीकृष्ण का बड़ा ही सुन्दर मन्दिर बना हुआ है।
Jai Somnath
( According to ancient Hindu texts, Soma i.e. Chandradev married 27 daughters of King Dakshaprajapati. But due to giving more love and respect to only one of them named Rohini, Daksha cursed Chandradev that from now on every day your radiance (radiance, brightness) will keep decreasing. Distraught and saddened by the curse, Soma started worshiping Lord Shiva. Pleased with the worship of Soma, Shiva removed this curse. Soma (Chandradev) built a temple of Lord Shiva here and hence it came to be called "Somnath".
There is also a belief that Shri Krishna had resided here in his last time. Shri Krishna was resting on a pilgrimage called Bhaluka. At that time a hunter had inadvertently shot an arrow on the soles of his feet, mistaking the padma symbol as the eye of a deer. Only then Krishna left the human body and left for Vaikuntha from here. A very beautiful temple of Shri Krishna is built at this place. )
गुजरात का सोमनाथ मंदिर किसने बनवाया, कब और कितनी बार टूटा और बना ?
Gujarat ka somnath mandir kisne banvaya tha. kab bana or kitni bar tuta or bana ?
जैसा कि उपर बताया गया है कि सोमनाथ मंदिर को सबसे पहले सोमदेव ( चंद्रदेव / चंद्रमा ) ने बनवाया था। लेकिन बाद में इसे कई बार तोड़ा गया और हर बार पुनर्निर्माण किया गया। उस समय यह मंदिर सोने का बना हुआ था। बाद में रविदेव ने चांदी से बनवाया। द्वापर युग में जब भगवान श्री कृष्ण गुजरात में जा कर बस गए तो उन्होने इस मंदिर का निर्माण लकड़ियों से करवाया था। लेकिन समय के साथ-साथ यह मंदिर भी पुराना होता गया।
( As mentioned above, the Somnath temple was first built by Somdev (Chandradev/Moon). But later it was broken several times and rebuilt each time. At that time this temple was made of gold. Later Ravidev got it made of silver. In the Dwapar era, when Lord Krishna settled in Gujarat, he built this temple with wood. But with the passage of time this temple also got old. )
7 वीं सदी में इस मंदिर का पुनर्निर्माण वल्लभी के मैत्रक राजाओं द्वारा करवाया गया था। 8 वीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी। गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया।
( The temple was rebuilt in the 7th century by the Maitraka kings of Vallabhi. In the 8th century, Junaid, the Arabic governor of Sindh, sent his army to destroy it. The Gurjara Pratihara king Nagabhatta rebuilt it for the third time in 815 AD. )
इस मन्दिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली थी। अरब के यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा, जिससे प्रभावित हो महमूद ग़ज़नवी ने सन 1024 में 5000 सैनिकों के साथ सोमनाथ मन्दिर पर हमला किया और उस मंदिर की सम्पत्ति लूटी और मंदिर को नष्ट कर दिया। इतना ही नहीं उसने 25,000 लोग जो मन्दिर के अन्दर हाथ जोड़कर पूजा अर्चना कर रहे थे, उन सभी का कत्ल कर दिया गया।
( The fame of this temple spread far and wide. The Arab traveler al-Biruni wrote a description of this in his travelogue, which impressed Mahmud Ghaznavi, in 1024, with 5000 soldiers, attacked the Somnath temple and looted the property of that temple and destroyed the temple. Not only this, 25,000 people who were praying inside the temple with folded hands, all of them were killed. )
बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने सन 1297 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर को पुनः ध्वस्त कर दिया और उसके सेनापति नुसरत खाँ ने इस मंदिर को पुनः लूट लिया। फिर बाद में 1815 ईस्वी में प्रतिहार राजा नाग भट्ट द्वितीय ने इस मंदिर का निर्माण तीसरी बार करवाया था। जहां एक ओर हिन्दू शासक मंदिर का बार-बार जीर्णोद्धार कराते तो वही मुस्लिम शासक बार-बार मंदिर को लूट ले जाते थे। मुस्लिम शासकों ने सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण किया था। भारत की स्वतंत्रता के बाद, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने वर्तमान भवन का पुनर्निर्माण शुरू किया, जिसे 1 दिसंबर, 1955 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा देश को समर्पित किया गया था। विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में धार्मिक और पर्यटन दोनों में आकर्षण का केंद्र है।
( Later Alauddin Khilji again demolished the Somnath temple in 1297 AD and his general Nusrat Khan plundered this temple again. Then later in 1815 AD, Pratihara king Nag Bhatt II built this temple for the third time. While the Hindu rulers used to renovate the temple repeatedly, the same Muslim rulers used to loot the temple again and again. Somnath temple was attacked 17 times by Muslim rulers. After India's independence, Iron Man Sardar Vallabhbhai Patel began the reconstruction of the current edifice, which was dedicated to the country on December 1, 1955, by President Dr. Rajendra Prasad. The world-famous Somnath Temple is both a religious and a tourist attraction. )