भगवान शिव शमशान में क्यों रहते है, उन्हें शमशान निवासी क्यों कहा जाता है। भगवान शिव देवो के देव महादेव कहलाते हैं फिर उनका श्मशान में क्या काम ? इन सवालों का उत्तर स्वयं भगवान शिव ने ही दिया था।
इस उत्तर का स्त्रोत हमारे विश्वसनीय महाकाव्य है जिसमे स्वयं भगवान शिव द्वारा बताए गए इसके कारण का वर्णन है। चलिए जानते हैं भगवान शिव शमशान में क्यों रहते है ?
भगवान शिव शमशान में क्यों रहते है जानें इसका रहस्य |
क्या है शिव जी के शमशान में रहने का राज ?
महाभारत जो एक महाकाव्य है, इसके अनुशासन पर्व अध्याय 141 में वर्णित एक कथा के अनुसार देवी उमा द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में भगवान शिव ने शमशान में रहने का राज बताया है। चलिए हम भी जानते हैं -
पहला सवाल
देवी उमा ने शिव जी से पूछा - भगवान के लिए स्वर्ग लोक में अनेक प्रकार के सर्वगुण संपन्न निवास स्थान है। इन सब को त्याग कर आप श्मशान में कैसे रहते हैं। श्मशान भूमि दो केशों और हड्डियों से भरी रहती है उस भयानक भूमि में मानव की खोपड़ियाँ और घड़े पड़े रहते हैं गिद्धों और गीदड़ों की भीड़ जुटी रहती हैं।
वहां सब तरफ चिताए जला करती हैं मांस, वसा और रक्त की कीच सी मची रहती है। बिखरी हुई आंतो वाली हड्डियों के ढेर पड़े रहते हैं। ऐसे अपवित्र स्थान में आप क्यों रहते हो।
शिव जी ने कहा - हे प्रिये मैं सदा पवित्र स्थान ढूंढने के लिए सारी पृथ्वी पर दिन-रात विचरण करता रहता हूं लेकिन शमशान से बढ़कर दूसरा कोई पवित्र स्थान मुझे कहीं नहीं दिखाई देता। इसलिए सर्वत्र स्थानों में से श्मशान में ही मेरा मन अधिक लगता है।
वह शमशान भूमि बरगद की डालियों से आच्छादित और मुर्दों के शरीर से टूट कर गिरी हुई पुष्प मालाओं के साथ विभूषित होती है। हे प्रिये ये मेरे भूत गण शमशान में ही रमते है इन भूत गणो के बिना मै कहीं भी रह नहीं सकता। यह शमशान का निवासी ही मैंने अपने लिए पवित्र और स्वर्गीय माना है।
हे प्रिये वह वीरो का स्थान है इसलिए मैंने वहां अपना निवास स्थान बनाया है। वहा मृतकों कि सैकड़ों खोपड़ियों से सजा हुआ भयानक स्थान भी मुझे सुन्दर लगता है। दोपहर के समय, दोनों संध्याओ के समय, तथा आद्रा नक्षत्र में दीर्घायु की कामना रखने वाले अथवा अशुद्ध पुरुषों को वहां नहीं जाना चाहिए ऐसी मर्यादा है।यह एक परम पुण्य स्थली है पवित्र वस्तु की इच्छा रखने वाले उपासक इसी की उपासना करते हैं। इस श्मशान भूमि से ज्यादा पवित्र स्थान कोई दूसरा नहीं है क्योंकि वहां मनुष्यों का अधिक आना जाना नहीं होता इसलिए वह स्थान अधिक पवित्र माना गया है।
मेरे अलावा
Bhagwan Shiv Shamshan Me Kyo Rahte Hain |
दूसरा कोई भी भूत जनित भय का नाश नहीं कर सकता इसलिए मैं श्मशान में रहकर समस्त प्रजा का रोज पालन करता हूं। मेरी आज्ञा मानकर ही भूतों का समाज अब इस संसार में किसी की हत्या नहीं कर सकते हैं।
दुनिया के हित के लिए मैं उन भूतों को श्मशान में रखता हूं। श्मशान भूमि में रहने का सारा राज मैंने तुमको बता दिया है अब और क्या जानना चाहती हो।
दूसरा सवाल
देवी उमा ने पूछा - भगवान आपका रूप पिंगल, विकृत, और भयावक प्रतीत होता है। आपके सारे शरीर पर भभूति लगी हुई है, आपकी आंखें विकराल दिखाई देती हैं, और सिर पर जटाओं का भार है। आपका रूप ऐसा रौद्र, भयानक, घोर तथा शूल और पटिश आदि से युक्त किसलिए है यह मुझे बताने की कृपा करें।
Bhagwan Shiv Ji |
शिव जी - प्रिये मैं इसका भी कारण बताता हूं, तुम एकाग्र होकर सुनो। जगत के सारे पदार्थ दो भागों में विभाजित हैं - शीत और उष्ण। अग्नि, शौम रूप यह संपूर्ण जगत उन शीत और उष्ण तत्वों में गुथा हुआ है। शौम्य गुण की स्थिति सदा भगवान विष्णु में निहित है और मुझ में आग्नेय तेजश गुण निहित है।
इस प्रकार इस विष्णु और शिव रूपी शरीर से मैं सदा लोगों की रक्षा करता हूं। देवी ये जो विकराल नेत्र से युक्त और शूल, पटिश से सुशोभित भयानक आकृति वाला मेरा रूप है यही आग्रह है। यह संपूर्ण जगत के हित में तत्पर रहता है यदि मैं इस रूप को त्याग कर इसके विपरीत हो जाऊं तो उसी समय संपूर्ण लोकों की दशा विपरीत हो जाएगी। देवी इसीलिए मैंने लोकहित के लिए यह रूप धारण किया है अपने रूप का यह सारा रहस्य मैंने तुम्हें बता दिया है।
अगर हम देखे तो शिवजी ने एक गूढ़ रहस्य से हम लोगों को अवगत कराया है कि भगवान रुद्र और भगवान विष्णु दोनों एक ही परम तत्व का हिस्सा है एक शौम्य गुण को संजोए हुए हैं तो दूसरा तेजस गुणों को और यह दोनों सर्वदा एक ही है। इससे सुंदर अनुभूति नहीं हो सकती कि हमारे देव हम सब के लिए ही सब करते हैं नारायण महेश्वराय को शत-शत नमन है।
यहां आपने "भगवान शिव शमशान में क्यों रहते हैं ?" इसका कारण जाना है। मैं उम्मीद करता हूं कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। हम आगे भी आपकी धर्म से जुड़ी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश करेंगे। ऐसे ही हमसे जुड़ें रहे।