लक्ष्मण जी ने अतिकाय को ब्रह्मास्त्र से मारा था, लेकिन मेघनाद पर ब्रह्मास्त्र चलाने से श्री राम ने क्यों रोक दिया था? जानिए इसका कारण

श्री राम और रावण के बीच हुए युद्ध में कई हथियारों का इस्तेमाल किया गया था जिनमें ब्रह्मास्त्र भी शामिल है। लक्ष्मण और अतिकाय के बीच जब युद्ध हुआ था तब लक्ष्मण ने अतिकाय को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया था। 

लेकिन जब लक्ष्मण और मेघनाद के बीच युद्ध हुआ था तब श्री राम ने लक्ष्मण को मेघनाद पर ब्रह्मास्त्र चलाने से क्यों रोक दिया था, ऐसा क्या कारण था जानते है -

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मेघनाद पर ब्रह्मास्त्र चलाने से श्री राम ने क्यों रोक दिया था? जानिए


ब्रह्मास्त्र के बारे में जाने

ब्रह्मास्त्र कोई साधारण हथियार नहीं था जिसे जब चाहा इस्तेमाल कर दिया, यह एक उच्च कोटि का एक बहुत ही शक्तिशाली हथियार था, जो अपार ऊर्जा से युक्त था। ब्रह्मास्त्र जैसे उच्चतम शक्तिशाली अस्त्रों की अपनी मर्यादा होती थीं। जब युद्ध में कोई विकल्प शेष ना हो और ब्रह्मास्त्र ही एकमात्र उपाय हो तो ही इसका प्रयोग करना चाहिए। 

श्रीराम मर्यादाओं के प्रतीक थे इसलिए वे नहीं चाहते थे कि संसार उन पर ये आरोप लगाए कि उन्होंने इन महानतम अस्त्रों की मर्यादाओं का उल्लंघन किया।

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अतिकाय कौन था ?

अतिकाय रावण व उसकी दूसरी पत्नी धन्यमालिनी का पुत्र था जो अतिशक्तिशाली और मायावी राक्षस था। अपने पूर्व जन्म में वह कैटभ नामक राक्षस था जिसने वैकुण्ठ पर चढ़ाई करके स्वयं भगवान विष्णु तक को चुनौती दी थी। 

इस जन्म में भी अतिकाय महाशक्तिशाली व पराक्रमी था जिसने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव का मान भंग किया था। शिव जी ने क्रोधित होकर अतिकाय पर अपने त्रिशूल से प्रहार किया लेकिन इससे भी उस पर कुछ असर नही हुआ। इससे प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे धनुर्विद्या का ज्ञान दिया, जिससे अतिकाय अत्यंत शक्तिशाली हो गया था। आज हम लक्ष्मण और अतिकाय के बीच हुऐ युद्ध और  लक्ष्मण द्वारा ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के बारे में बताएंगे।


लक्ष्मण और अतिकाय के बीच युद्ध

जब श्रीराम जी का रावण से युद्ध चल रहा था, उस बीच रावण ने अपने भाई कुंभकर्ण को युद्ध के लिए भेजा। लेकिन कुंभकर्ण भी वीर गति को प्राप्त हो गया। रावण अपने भाई कुंभकरण की मृत्यु से बहुत दुःखी था। ऐसे समय में रावण ने अपने पुत्र अतिकाय को युद्ध के लिए भेजा।

अतिकाय युद्ध करते समय मायावी विद्याओं का प्रयोग करते हुए आकाश में चला गया, जिससे भूमि पर खड़े लक्ष्मणजी को आसानी से लक्ष्य बनाकर तीव्र बाण मारा जा सके। जमीन से युद्ध करने में आ रही कठिनाई को देखते हुए हनुमानजी उन्हें कंधे पर बिठाकर आकाश में चले गए। 

दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ जिसका कोई परिणाम नहीं निकला। ऐसे में इंद्र के कहने पर वायुदेव ने लक्ष्मण को बताया कि अतिकाय को भगवान ब्रह्मा द्वारा सुरक्षाकवच मिला हुआ इसे केवल ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके ही मारा जा सकता है, अन्य कोई विकल्प नहीं है। 

श्रीराम ने मेघनाद पर ब्रह्मास्त्र चलाने क्यों रोका ?

मेघनाद के साथ ऐसी परिस्थिति नही थी जिससे ये सिद्ध हो जाता कि ब्रह्मास्त्र ही एकमात्र विकल्प है, इसलिए श्रीराम ने लक्ष्मण को रोक दिया। ब्रह्मास्त्र की ऊर्जा इतनी विस्फोटक होती है जो भारी विनाश पैदा कर देती है इसलिए बिना जानकारी के ऐसे अस्त्र को चलाना बम से मच्छर मारने के समान है। 

मेघनाद कोई मच्छर नहीं था लेकिन ब्रह्मास्त्र की ऊर्जा क्या परिणाम लाएगी, इस बारें में सोचकर श्रीराम चिंतित हो गए थे। इस भयानक विनाश को ध्यान में रखकर श्री राम ने लक्ष्मण जी को मेघनाद पर ब्रह्मास्त्र चलाने से रोक दिया था।

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